चुप्पी

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चुप्पी

नीता अपने छोटे से परिवार में बहुत खुश थी | अपने पति गौरव और बेटी सुनयना के साथ उसका जीवन बहुत सुखद था| उसके पति गौरव भी उसे बहुत प्यार करते थे, उसकी हर ज़रूरत का ध्यान रखते थे| बस उनमे गुस्सा बहुत ज़्यादा था | बात बात पर उसपे झल्ला पड़ते| कभी कभी तो अपने काम, दोस्तों या किसी और का गुस्सा भी उसपे उतार देते| नीता को बात थोड़ी बुरी तो लगती पर वो काम का बोझ समझकर कोई जवाब ना देती| थोड़ी देर में गौरव का गुस्सा शांत हो जाता और सब कुछ नार्मल हो जाता| धीरे धीरे गौरव दुसरो के सामने भी नीता पे चिल्लाने लगा| नीता को ये बात बहुत बुरी लगती|पर नीता को पता था की चुप रहकर और बात को आगे न बढाकर ही गौरव को शांत किया जा सकता है| घर का माहौल सही रहे और बेटी पर बुरा असर ना हो इस कारण नीता हमेशा चुप ही रहती|

कुछ दिन से नीता देख रही थी की सुनयना काफी शांत रहने लगी थी| जो लड़की घर में हमेशा उधम मचाती रहती थी वो अब स्कूल से आकर सीधा अपने कमरे में चली जाती थी और पूरा दिन वही बिताती | यहाँ तक की जब खाना खाने बहार आती तो भी बिलकुल चुप चुप ही रहती| नीता ने कई बार उससे पूछा की क्या बात है पर सुनयना हमेशा कुछ भी नहीं बस थक गयी हूँ कहकर बात को टाल देती | गौरव भी इस बात पर गौर कर रहा था| नीता और गौरव ने सुनयना की दोस्त सुरभि से बात करनी की सोची| दोनों सुरभि के घर गए और सुरभि से पूछा की सुनयना इतनी शांत क्यों रहने लगी थी | सुरभि ने उन्हें बताया की क्लास के कुछ बच्चे सुनयना को बहुत चिढ़ाते हैं और सुनयना इस कारण बहुत परेशान रहती है| ये सुनकर गौरव और नीता को बहुत दुःख हुआ और दोनों इस बात से हैरान थे की सुनयना ने ये बात उन्हें क्यों नहीं बताई| पहले तो सुनयना अपनी हर बात उन दोनों को बताती थी | यही सोचते सोचते दोनों घर पहुँच गए और उन्होंने सुनयना को अपने पास बुलाया |

नीता ने बड़े प्यार से सुनयना के सर पे हाथ फेरते हुए पूछा की बेटा क्या बात है, तुम क्यों इतनी परेशान रहती हो? जब आज भी सुनयना कुछ नहीं बोली तो नीता ने उससे फिर कहा की हमे सब कुछ पता है बेटा, हम अभी सुरभि से बात करके आ रहे हैं |ये सुनते ही सुनयना रोने लगी और नीता के गले लग गयी | गौरव से यह सब देखा नहीं जा रहा था | उसने सुनयना से पूछ ही लिया की बेटा तुमने हमे कुछ बताया क्यों नहीं ? और अगर बच्चे तुम्हे कुछ कहते थे तो तुमने कभी उन्हें जवाब क्यों नहीं दिया? सब कुछ चुपचाप क्यों सेहती रहीं ? डबडबाई आँखों से सुनयना बोली जब आप मम्मी पर गुस्सा करते हो तो मम्मी कभी भी जवाब नहीं देतीं जिससे बात बिगड़ ना जाये, तो मुझे भी यही लगा की शायद चुप रहने से ही सब ठीक हो जायेगा | आज नीता को एहसास हुआ की चुप रहकर वो सुनयना को बचा नहीं रही थी बल्कि उसे डरपोक बना रही थी | ये बात सही है की कभी कभी रिश्तों को बचाने के लिए हमे चुप रहना पड़ता है पर आत्मसम्मान के लिए लड़ना या आवाज़ उठाना भी उतना ही ज़रूरी है | गौरव को भी ये एहसास हो गया की बिना वजह नीता पर चिल्लाने से वो ना ही सिर्फ अपने और नीता के रिश्ते को ख़राब कर रहा था बल्कि सुनयना के कोमल मन को भी ठेस पहुंचा रहा था | दोनों ने अपने आप को बदलने का निश्चय किया और सुनयना को भी अपने लिए आवाज़ उठाने की शिक्षा दी | उसे यह भी समझाया की किसी मुसीबत में पड़ने पर अपने से बड़ो चाहे माता पिता या शिक्षक को सूचित करना चाहिए | और हमे भी ये याद रखना चाहिए की हमारा हर एक व्यवहार हमारे बच्चो पर बहुत प्रभाव डालता है |

 

Apoorva Yadav Kamboj

By | 2022-01-15T11:10:31+00:00 January 15th, 2022|Fiction|0 Comments

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